चुत पर प्रोफेसर के लंड का पानी

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मेरी सीलबंद चुत पर प्रोफेसर के लंड का पानी

https://nightqueenstories.com के मेरे प्यारे पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

कैसे हो दोस्तों, उम्मीद करता हूँ सब बहुत अच्छे होंगे। दोस्तों ये कहानी मेरी है, मेरी अपनी, मेरी चुत की चुदाई की।

मेरा नाम स्नेहलता है। और सभी लोग प्यार से मुझे स्नेहा बुलाते हैं। मेरी उम्र 29 साल है। फिगर 38-32-42 है। दरअसल हॉस्टल का खाना और प्रोफेसर का लंड का पानी पी पी कर मैं मोटी हो गई हूँ। मैं अभी दिल्ली यूनिवर्सिटी से पी.च.डी कर रही हूँ।

ये घटना आज से 2 साल पहले की है। मैं लगातार 2 बार पी.एच.डी. निकालने में असफल हो चुकी थी। मेरे प्रोफेसर थे राघव सिन्हा। जो थे तो 55 साल के और देखने मे 65 से भी ज्यादा के लगते थे लेकिन वो जवान चुत के रसिया थे और कॉलेज के ज्यादातर लड़कियों को अपने लन्ड का रस पिला चुके थे।

दरअसल वो बिना चुत लिए किसी को अच्छे ग्रेड नहीं देते थे। पहले 2 बार मैं इस चीज को समझ नहीं पाई क्योंकि मैं थोड़ी सीरियस किस्म की लड़की थी। इसलिए लड़कियों से भी मेरी दोस्ती कम थी। मैं ज्यादातर पढ़ाई में ध्यान देती थी। लेकिन 2 अटेम्प की असफलता ने मुझे बहुत तोड़ दिया था।

तब मेरी एक सहेली थी पूनम। जो थी तो मेरी क्लासमेट लेकिन वो पहले अटेम्प्ट में क्लियर कर एक कॉलेज में प्रोफेसर बन चुकी थी। जब दूसरी बार मैं फेल हो गई तो एक दिन मैं उसे कॉल की और उससे मिलने चली गई तब उसने थीसिस की सारी गणित बताई।

वह मुझे बताई की प्रोफेसर को बिना खुश किये तुम 10 बार मे भी नही क्लीयर कर पाओगी। अगर तुम्हें आगे बढ़ना है तो प्रोफेसर को अपनी चुत सौंपनी होगी।

कैसे मैं पीएचडी क्लीयर करवाने के लिए प्रोफेसर के बिस्तर पर गई

यह सुनकर मैं बहुत नर्वस हो गई। क्योंकि मैं आज से पहले कभी चुदी नहीं थी ना ही मेरे चुत के अंदर उँगली भी गई थी। मैं बिल्कुल वर्जिन थी। क्योंकि मुझे सेक्स में रुचि बिल्कुल नही थी। हाँ मैं कभी कभी बहुत एक्साइटेड होती थी तो चुत की दाने को सहलाकर पानी निकाल देती थी। वो भी महीने 2 महीने में।

जबसे पूनम मुझे ये बात बताई थी तबसे मैं परेशान हो चुकी थी कि मैं पीएचडी कभी क्लीयर नही कर पाऊंगी।

फिर एक दिन पूनम मुझे समझाई और बोली कि तुम्हे आगे बढ़ना होगा आख़िर कब तक यही रहोगी। अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। अंत मे मैं हामी भर दी।

फिर एक दिन पूनम मुझे लेकर राघव सर के पास गई और उनसे कुछ बात की फिर राघव सर हमें अपने घर पर बुलाए। दूसरे दिन मैं और पूनम राघव सर के घर चले गए। दरअसल यह घर राघव सर के अय्याशी के लिए ही था। उनकी फैमिली कही दूसरे घर मे रहती थी। और राघव सर को जब कभी कॉलेज के लड़कियों को चुत मारनी होती थी तो वो उन्हें यही बुलाते थे।

दिन के करीब 11 बज रहे थे जब मैं और पूनम राघव सर के घर पहुँचे। 2 कमरे का वह फ्लैट था लेकिन बहुत खूबसूरत था। अंदर घर किसी महल को तरह सजा हुआ था।

तभी राघव सर पूनम को दूसरे कमरे में बुलाए और करीब 5 मिनट बातें किए। फिर पूनम बाहर आई और मुझे बोली कि मुझे कुछ काम है मैं 1 घंटे बाद आऊँगी। और फिर वो मुझे समझाई की सर को अच्छे से खुश करना। और मुझे बोली कि तुम अंदर जाओ। और मैं अब जा रही हूँ।

पूनम तो चली गई लेकिन मेरी धकडने काफी तेज चलने लगी। लेकिन मैं भी ठान चुकी थी कि अब चाहे जो हो मुझे सबकुछ करना ही है। फिर मैं अंदर गई। तो राघव सर बिस्तर पर लेटे हुए थे। वो मुझे देखते ही मुस्कुराए और हाथ आगे बढ़ाकर बोले आओ स्नेहा।

मैं झिझकते हुए बिस्तर के पास गई। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और बिस्तर पर बैठने बोले। मैं बैठ गई। जैसे ही मैं बिस्तर पर बैठी सर ने मेरी जांघो पर अपना हाथ रख दिये। मेरे अंदर मानो हजार वाल्ट का करंट दौड़ गया। लेकिन मैं संभलते हुए उनके हांथो पर अपना हांथ रख दी। सर मेरी जांघो को मसलने लगे। फिर अचानक उनकी हाथ मेरी दोनो जांघो के बीच आ गए। लेकिन उनकी हाथ मेरी चुत तक नही पहुँच पा रही थी। तो उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैं पीठ के बल उनके ऊपर थी। फिर उन्होंने मेरी पैरों को चौड़ा किया और मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी चुत को मसलने लगे। मैं हैरान भी थी और परेशान भी लेकिन क्या कर सकती थी। फिर सर मेरी चुत को छोड़कर दोनो हाथों से मेरी दोनो बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगे।

करीब 10 मिनट तक यही सब हुआ लेकिन मैं बिल्कुल खामोश थी तो फिर सर बोले कि स्नेहा क्या तुम कम्फर्टेबल नहीं हो अगर तुम्हारा मन नही है तो कोई बात नही तुम जा सकती हो। लेकिन फिर से फेल होने के डर ने मुझे मजबूर कर दिया। और मैं बोली कि सर मैं कम्फर्टेबल हूँ।

तो सर बोले कि ठीक है तुम दूसरे कमरे में जाओ 2 मिनट के लिए।

मैं घबरा गई कि सर शायद नाराज हो गए। और हुआ भी वही था। मेरी शिथिलता ने उन्हें नाराज कर दिया था।

फिर वो पूनम को कॉल किए और कुछ बातें किए। फिर पूनम मुझे कॉल की और मुझे बोली कि क्या कर रही हो। सर का पूरा साथ दो। चाहे जो हो तुम रंडी बन जाओ और सर को खुश करो। सर नाराज हो जाएंगे तो सारा किए कराए पर पानी फिर जाएगा। पूनम मुझे बहुत समझाई और कॉल कट कर दी।

सर बिस्तर पर नंगे थे और उनकी बड़ी सी मुरझाई लंड मेरे सामने था

फिर मैं 4, 5 लंबी सांसे ली और खुद को ऐसा करने के लिए तैयार की। तभी मैं सुनी सर पूनम से बात कर रहे थे। शायद पूनम ने मुझे समझाने के बाद सर को भी कॉल की थी।

फिर मुझे पूनम फिर से कॉल की और बोली कि जाओ सर के रूम में।

मैं सर के रूम में गई तो हैरान रह गई सर अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर बिल्कुल नंगे लेटे हुए थे। उनकी लन्ड बड़ी सी थी लेकिन वह खड़ा नही था।

फिर सर मुझे बोले स्नेहा अपना कपड़ा उतारो मैं तुम्हारी चिकनी बदन का दीदार करना चाहता हूँ। मै भी बोली यस सर। तो राघव सर बोले कि स्नेहा आज मैं तुम्हारा सर नही हूँ बल्कि सिर्फ राघव हूँ। तुम मुझे राघव कह के बुलाओ।

मैं एक एक कर अपने कपड़े उतार दिए और लाल रंग की ब्रा और पैंटी में सिर्फ रह गई। राघव मेरे गदराई जिस्म को देखकर अपने जीभ होंठो पर फिराने लगा। और बोला स्नेहा तुम तो किसी जन्नत की हूर लगती हो। मैं बहुत मजे ले चुका हूँ लेकिन ऐसी जवान और टाइट बदन आज तक नही देखा फिर सर बोले।

अपनी ब्रा उतारो मैं पहले तो झिझकी फिर ब्रा उतार दी जैसे ब्रा मेरी जिस्म से अलग हुई मेरी दोनो बड़ी बड़ी कड़क चुचियाँ आजाद हो गई। सर का मुँह से लार टपकने लगा।

सर बोले स्नेहा तुम्हारी गांड़ तो किसी रंडी की तरह बड़ी है

फिर सर अपने लन्ड को मसलते हुए बोले पीछे मुड़ो और अब अपनी पैंटी भी उतारो। मैं बिना देर किए पीछे मुड़ गई। अब मेरी बड़ी सी गांड़ सर के तरफ थी। फिर मैं बिना समय गंवाए एक झटके में अपनी पैंटी उतार दी। और मेरी बड़ी सी कड़क गांड़ सर के आंखों के सामने थी। सर बोले कि स्नेहा तुम्हारी गांड़ तो बिल्कुल किसी रंडी की तरह बड़ी सी है।

फिर सर बोले कि अब मेरे सामने घूम जाओ। मैं घूम गई। जैसे ही मैं मुड़ी सर मेरी बिना बालों वाली चिकनी चुत को देखकर बोले। क्या गजब की तुम्हारी चुत है। बिल्कुल हेयरलेस।

सर बोले दोनो हाथों से अपनी चुत को फैलाओ

अब दोनों पैरों को फैलाओ मैंने फैला दिए। फिर सर बोले अब तुम अपनी दोनो हाथों से चुत को फैलाओ मैं वैसा ही कि। लेकिन चुकी मैं कभी चुदी नहीं थी तो मेरी चुत ज्यादा नहीं फैली। फिर सर बोले अब मेरे पास आओ। मैं बिस्तर पर चढ़ गई। तो सर मेरी चुचियों को मसलते हुए बोले। मेरे लन्ड को चुसो और मेरे लन्ड को खड़ा करो।

लेकिन उनकी लन्ड को देखते ही मुझे घिन्न आने लगी। लेकिन मेरी मजबूरी थी सो मैंने उनके लन्ड को हाथों में ले लिया। और सहलाने लगी। सर मेरी हाथों को पकड़े और तेजी से लंड पर रगड़े। राघव का लन्ड बिल्कुल पिलपिला सा लग रहा था जैसे कोई बेजान चीज मेरी हाथों में है।

राघव एक बार फिर से बोला कि मेरी जान लन्ड को चुसो। मैं जैसे ही नीचे झुकी उनकी लन्ड से एक अजीब से स्मेल मेरी नाक में गई। मेरा मन तो किया कि अभी उठु और यह से चली जाऊ भाड़ में जाए मेरी पीएचडी।

लेकिन फिर मै खुद को संभाली और राघव के बदबूदार लंड को अपने मुँह में ले ली। जैसे ही उनका लन्ड मेरी होंठो पे लगा तो मुझे उबकाई आने लगी और लगा जैसे मैं उल्टी कर दूंगी।

अब राघव का बदबूदार लन्ड मेरी मुँह में था

फिर मैं खुद को संभाली और राघव के मुरझाए लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। और तभी सर हल्की हल्की कमर हिलाने लगे। और मेरे सर पर हाथ रखकर सहलाने लगे।

अब सर के लन्ड को चुसते करीब 10 मिनट हो चुके थे लेकिन राघव का लन्ड में अभी थोड़ा सा तनाव आया था। फिर सर बोले कि स्नेहा तुम बहुत अच्छा लंड चूस रही हो।

जबकि सच ये था कि मैं आज से पहले कभी लन्ड चूसना तो दूर मैं वास्तव में लंड देखी तक नही थी। और मैं राघव का लंड चूस नही रही थी बल्कि बस फोर्मलटी पूरी कर रही थी।

अब राघव के लंड को सहलाते 15 मिनट से ज्यादा हो चुके थे लेकिन उनका लन्ड बस थोड़ी सी ही सख्त हुआ था। हाँ वो अलग बात है कि राघव का लंड काफी बड़ा था। और जावानी में जब उनका लंड खड़ा होता होगा तो वह काफी बड़ा होता होगा।

सर बोले स्नेहा तुम 69 की पोजिशन में आकर अपनी चुत मेरी मुँह पर रखो

अब सर बोले कि तुम 69 की पोज़िशन में आओ और अपना चुत मेरे मुँह पर रखो। मैं बिना देर किए उनकी बात मान रही थी क्योंकि मुझे इस साल हर हाल में पीएचडी क्लीयर करना था।

जैसे ही मेरी चुत उनके मुँह के पास गई वो झट से अपनी हाथों से मेरी चुत को रगड़ने लगे। उनकी हांथो की स्पर्श मेरे चुत पर पड़ते ही मेरी शरीर मे सनसनी दौड़ गई। मैं चुत को बिल्कुल सिकोड़ दी। सर मेरी चुत के दाने से लगातार खेल रहे थे। और फिर मेरी चुत को फैलाकर अंदर झांकने लगे। और मेरी सीलबंद चुत को देखकर बोले स्नेहा क्या तुम आज तक बिल्कुल कुँवारी हो तुम्हारे चुत के हायमन तो बिल्कुल सही सलामत हैं। क्या तुमने आजतक चुत नहीं चुदवाई?

मैं बोली राघव ये बिल्कुल सच है मैं बिल्कुल कुँवारी हूँ। और आजतक मेरी चुत में एक उँगली तक नहीं गई।

आजतक मैं कभी कुँवारी चुत नहीं चोदा हूँ

तो राघव बोले कि आजतक मैं कभी कुँवारी चुत नहीं चोदा हूँ जीवन मे पहली बार मुझे सीलबंद चुत मिल रही है। आज मैं तुम्हारी चुत की सील तोड़कर पूरी तरह से औरत बना दूँगा।

और फिर सर बोले कि जल्दी जल्दी मेरे लन्ड को चुसो और खड़ा करो।

और मैं राघव के लन्ड को चूसने लगी। राघव भी मेरी चुत हांथो से रगड़ने के अलावा जीभ से चाट भी रहे थे। उनकी जुबान मेरी चुत पर लगातार फिसल रहे थे। अब मेरे अंदर भी तेजी से सनसनी दौड़ने लगी थी और मैं भी शायद अब चुदने के लिए तैयार होने लगी थी। उधर राघव के लंड में भी जान आने लगे थे। राघव का लन्ड अब पहले से और सख्त हो चुका था। लेकिन अभी भी पूरी तरह से सख्त नही हुआ था जैसा मैंने सहेलियों से सुना था या पोर्न मूवी में देखा था।

तभी राघव बोले स्नेहा तुम अब नीचे आओ और लेट जाओ।

मैं राघव के ऊपर से हटी तो वो उठकर बैठ गए। और मुझे लेटने को बोले मैं लेट गई। फिर सर मेरी टांगों को फैलाकर मेरी चुत पर किस किये। और अपनी जीभ से मेरी गीली सीलबंद चुत को चाटने लगे। राघव किसी कुत्ते की तरह मेरी चुत को चाट रहे थे।

अब मैं चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी

लेकिन अब मैं चुदने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी थी। पहली बार मेरी चुत में लन्ड जाने वाला था।

तभी सर उठे और घुटनों के बल हो गए और मेरी गांड़ के नीचे तकिया लगाए। जिससे मेरी चुत ऊपर उठ गई। अब सर मेरी चुत को और फैलाए और अपना लन्ड मेरी चुत में डालने लगे। लेकिन मेरी सीलबंद चुत और सर की लन्ड में सख्ती की कमी के कारण राघव का लन्ड मेरी चुत में नही जा रहा था। 2, 3 बार राघव ऐसे ही मेरी चुत में अपना लंड डालने की कोशिश करते रहे लेकिन लंड अंदर नही गया। और तभी राघव का लन्ड से वीर्य बाहर आने लगा और सर अपने लन्ड को हिलाकर मेरी चुत के ऊपर ही वीर्य गिराने लगे। और फिर सर शांत हो गए और मेरी बगल में लुढ़क गए। सर बिना मेरी चुत को चोदे ही खल्लाश हो चुके थे। और हांफने लगे। फिर करीब फिर से एक घंटे तक मैं सर को लन्ड को खड़ा करने को कोशिस की लेकिन सर का लन्ड खड़ा नही हुआ उल्टे वो गहरी नींद में सो गए।

इस तरह मेरी चुत की सील टूटने से बच गई। उसके बाद कई बार सर मुझे अपने घर बुलाकर चोदना चाहे लेकिन हर बार यही होता था। अंत मे साल का आखिरी समय आ गया और मैं एक बार फिर से थीसिस जमा को और इस बार मैं यूनिवर्सिटी टॉप की।

मैं बिना चुदे ही यूनिवर्सिटी टॉप कर चुकी थी। और मेरी सीलबंद चुत ने राघव सर का लंड का गला घोंट चुका था।

तो दोस्तों कैसी लगी मेरी सीलबंद चुत की चुदाई की कहानी? मुझे कमेंट करके बताना। और इसी तरह की सच्ची और मजेदार सेक्स कहानियों के लिए https://nightqueenstories.com पर बने रहना। धन्यवाद।

 

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