वलेंटीनेस स्पेशल
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ठोकू रमेश – वलेंटीनेस स्पेशल
रसूक लाल अजमेरा के घर काम करने वाला एक नौकर रमेश बेहद हरामी किसम का आदमी था। वह एक नंबर का चोदू इंसान था जिसकी मालकिन और सेठ की बेटी , दोनों पर ही बुरी नज़र थी। दिनभर घर का काम करते हुए उसकी आखे मालकिन के बड़े बड़े मुम्मो पर रहती थी और छोटी मालकिन की गोरी गोरी टैंगो पर।
हवस में जलता हुआ रमेश रोज़ रात गुंगु बाई के कोठे पर जाकर सूजी को चोदता था , “सूजी बेबी , तेरी चुत में मस्त गर्मी है रे , मेरे लंड को शांत कार देती है। ”
“आह , आह , सेल रोज़ रात को ऐसा पेलता है मुझे की सुबह मुझसे जल्दी उठा ही नई जाता, आह… । ”
“हाँ रे , तेरे बूबे जब हिलते है ना तेरी चुत मारते वक़्त , मेरे अंदर एक अजीब सा जोश भर जाता है । ”
“अच्छा? , तो चोद मुझे अच्छे से। ज़ोर ज़ोर से धके मार मादरचोद। ”
रमेश के अंदर और जोश भर गया और पीछे से वह सूजी की चुत कस कर मारने लगा। जब झड़ने की बारी आई तो रमेश ने जल्दी से अपना लंड निकाला और सूजी की गांड पर झडा डाला। एक ज़बरदस्त चुदाई के बाद दोनों नंगे बिस्तर पर लेट गए और छत की और देखते हुए बाते करने लगे , सूजी ने रमेश से पूछा , “ऐ सुन ना , तू क्या बस मुझे रोज़ आकर ऐसे ही चोदकर चला जायेगा ?”
“ये केसा सवाल है रे ? और क्या चाहती है तू मुझसे ?”
“कितना हलकट है रे तू , एक औरत के बस जिस्म को चाह सकता है , उसके दिल की बात नई समझता। “:
सूजी की ये बात सुनकर रमेश को हस्सी आगई और हस्ते हुए उसके सूजी से कहा , “तुम रंडी लोग जब दिल की बात करते हो तो हस्सी आजाती है। ”
“साले हरामी कुत्ते , चल निकल यहाँ से और कल से अपनी शकल मत दिखाना मुझे। ”
“अरे बुरा क्यों मानती है। ” लेकिन सूजी रमेश पर उस वक़्त बहुत ज़्यादा बिगड़ चुकी थी और उसने रमेश को कोठे पर से निकाल दिया।
रमेश घर आगया और अगले दिन जब वह घर की साफ़ सफाई कर रहा था तो छोटी मालकिन रिंकी के कमरे का दरवाजा बंद था। रमेश ने जल्दी से झाड़ू फेका और दरवाजे के पास गया ताका झांकी करने। कमरे के भीतर रिंकी अपने कपडे बदल रही थी। वह पूरी तरह से नंगी होकर अपने कपबोर्ड को टटोल रही थी की वह क्या पहने।
उसकी मस्त गोरी और गोल मटोल गांड को देखकर रमेश के अंदर का जानवर पूरी तरह से जाग उठा। रिंकी की चूचिया मस्त गोल और गोरी गोरी थी। ऐसा जिस्म आजतक रमेश ने बस पोर्न में ही देखा था , उत्तेजित होकर उसने अपना लंड बहार निकाला और मुठ मारने लगा। रिंकी ने जब तक अपने पुरे कपडे पहने तब तक रमेश झड़ भी गया , लेकिन एक भयंकर वाकया होगया।
बड़ी मालकिन सीमा ने रमेश को मुठ मारते हुए देख लिया। “साले हरामखोर , मेरी बेटी को देखते हुए तू ऐसा घिनोना काम करता है ?”
वह बिना कुछ भी सोचे रमेश को कूटने लगी और झगडे की आवाज़ सुनकर रिंकी ने तुरंत दरवाज़ा खोला। सीमा ने रिंकी को बताया की रमेश क्या कर रहा था , तब रिंकी भी रमेश की पिटाई में लग गई और माँ बेटी ने मार मार कर रमेश को घर से दफा करदिया।
औरतो के हाथ पीटकर रमेश का खून खोल उठा था , उसे अब किसी भी हाल में बदला चाहिए था , इसीलिए उसने एक तरकीब सोची।
वह सूजी के पास गया और कहा , “सुन , क्या तू बहुत सारा पैसा बनाना चाहती है ?”
“तू मेरे बारे में क्यों सोच रहा है रे हरामी अब ?”
“क्युकी सोच सोच कर मेरा दिमाग इस बात पर थम गया की शायद हाँ , कही न कही में तुजसे प्यार करता हु। ”
रमेश की ये बात सुनकर सूजी को काफी हैरानी हुई , जिस तरह से रमेश ने ये बात रखी थी सूजी के सामने उससे सूजी को यकीन हो रहा था की रमेश को भी उससे प्यार था।
“क्या सोच रही है ? तुजे पैसे कमाने है या नहीं ?”
“हम्म , पैसे तो कमा ही लेती हु रे में। लेकिन तेरे लिए मेरी हाँ है , जो भी काम करने बोलेगा तू। ”
“ये हुई ना बात मेरी रानी , तो सुन , मेरा मालिक कुछ दिनों के लिए देश से बहार जाने वाला है। घर पर बस मालकिन और उसकी बेटी रहेंगे और एक चुटिया वॉचमन है। मेरा प्लान है घर पर हाथ साफ़ करने का , सब कुछ में संभाल लूंगा , तुजे इस काम में बस कुछ हद तक ही शामिल होना है। ”
“साले , ये तो तू बहुत टेड़ा काम करने जा रहा है। ”
“हाँ , लेकिन बड़ा पैसा हाथ लगेगा मेरे। उसके बाद अपुन दोनों इदर से गायब , इस ज़िन्दगी से तुजे भी आज़ादी मिल जाएगी। ”
“अच्छा ? मेरे साथ घर बसाएगा तू ?”
“और क्या ? सोचा है मेने बहुत , तेरे साथ घर बसालुंगा मैं। ”
सूजी बहुत ज़्यादा खुश होगई और उसने रमेश से पूछा , “चल अब बता मुझे क्या करना होगा ?”
“वह जो वॉचमन है ना , तुजे बस उसे उलझाए रखना है जब तक मैं अंदर हाथ साफ़ नहीं कर लेता। ”
“बस ? ये तो मेरे बाये हाथ का खेल है। ”
…
फिर एक दिन मौका देख कर रमेश ने सूजी को बुला लिया काम को अंजाम देने। रमेश तो घर के अंदर ही था और सूजी वॉचमन को उलझाए रखने के लिए वहा पहुँच गई। उसने काफी उत्तेजित करने वाली साड़ी पहनी थी , वह घर के गेट के पास आई और वॉचमन से पूछा , “अरे ओ वॉचमन , ये वाला पता बता सकते हो ?”
वॉचमन ने पता देखा , लेकिन सूजी को भी ऊपर से नीचे टाडा , “ये पता तो यहाँ का नहीं है , लेकिन अगर ज़यादा थक गई हो धुप में घूम कर तो मेरी खोली में आकर थोड़ा आराम कर सकती हो। ”
“हाँ , बहुत मेहेरबानी होगी आपकी। ”
गेट खोल कर वॉचमन कशी ने सूजी को अंदर ले लिया। जब रमेश को इस बात की भनक लगी तो उसने भी अपने प्लान को अंजाम देने की बात सोच ली।
वॉचमन सूजी को बहुत बुरी नज़र से देख रहा था , उससे रहा नहीं गया और उसने सूजी से पूछा , “देखो तुम्हे थोड़े पैसे दे सकता हु , मुझे अपनी चुत मारने दोगी ? ”
“क्या ?”
“बुरा मत मानो लेकिन ऐसे कपडे कोई शरीफ घर की औरत तो नहीं पहनेगी। इसीलिए साफ़ पूछ रहा हु। ”
“साला रंडीबाज , सही अनुमान लगाया तूने। चल ५०० का नोट ला और मारले मेरी चुत। ”
सूजी ने अपनी साड़ी को ऊपर कर लिया और वह बिस्तर पर लेट गई , वॉचमन ने अपनी पैंट को नीचे किया और अपना लंड बहार निकाला। सूजी की चुत पर अपना बेसब्रा लंड मसलकर उसने लंड को सूजी की चुत में डाला। ” होल होल धक्के मारते हुए वह सूजी को चोदने लगा और सूजी करहाने लगी , “आह, उफ़ ”
…
रमेश सीधा सीमा के कमरे में गुस्सा और जेब से चुरा निकाला , सीमा इस बात को देखकर पूरी तरह से दंग थी , “ये क्या कर रहा है साला हरामी ? ”
“गाली नाइ , मादरचोद। आज तू मेरा लंड चूसेगी , वर्ना ये चाकू अभी तेरे अंदर ठूस दूंगा। ”
रमेश ने अपना लंड बहार निकाला जो काफी खड़ा था और सीमा को अपने लंड के पास झुकाकर चुसवाने लगा। रमेश के जितना लम्बा और मोटा लंड सीमा ने आज तक कभी नहीं चूसा था। सीमा का सर पकड़कर रमेश काफी अंदर तक उसे लंड दे रहा था , सीमा की थूक से लंड पूरी तरह से गिला हो गया था। रमेश से सीमा के मुँह को अच्छे से चोदा।
…
बंसी वॉचमन भी लगा हुआ था सूजी की चुत मारने में , “अच्छा सुनो ना , साड़ी खोल कर अब पूरी नंगी होजाओ। तुम्हारा पूरा जिस्म देखने के लिए तड़प रहे है। ”
“अच्छा ? ५०० और लगेंगे। ”
“१००० लेलो। ”
फिर सूजी पूरी नंगी होगई , “क्या बदन है तुम्हारा , बहुत करारा। ” सूजी के मुम्मो को दबाते हुए बंसी ने कहा। वह सूजी के मुम्मो को चूस रहा था और उसकी चुत में ऊँगली कर रहा था।
सूजी की चुत काफी गीली होगई थी , फिर बंसी से सूजी को बिस्तर के सहारे झुकाया और उसकी चुत को पीछे से मारने लगा।
…
रमेश भी अब सीमा को ज़मीन पर ही लेटकर चोद रहा था। ” ये बड़े बड़े गोर मुम्मे कितने मज़ेदार है तुम्हारे। क्या हिल रहे है , मन कर रहा है की खा जाऊ इन्हे। ”
रमेश ने ज़ोर ने सीमा के निप्पल को काटा और वह चीख पड़ी। अपनी माँ की चीखने की आवाज़ सुनकर रिंकी जल्दी से सीमा के कमरे में पहुची। “माँ क्या हुआ ?”
नज़ारा देख कर वह पूरी तरह से दंग थी , “ये क्या हो रहा है यहाँ ?”
“रिंकी बेटा संभलकर , रमेश के पास चाकू है। ”
“अरे आओ आओ बॉडीवाली छोटी मालकिन रिंकी। मुझे पिटवाया था ना तुमने , चलो अब अपने कपडे उतरो। अब तुहे देखेंगे क्या ? चोददेंगे भी। ”
“रमेश मेरी बेटी को छोड दे , मुझे तो चोद ही रहा है ना तू। ”
“चुप होजाओ। तू कपडे उतार अपने रिंकी। ”
रमेश ने रिंकी के भी कपडे उतारवाये और उसके मुम्मे चूसते हुए , उसकी तंग चुत में ऊँगली करने लगा। सीमा से वह अपना लंड चूसवा रहा था।
…
सूजी को तो बंसी काफी पेल रहा था , “अबे वॉचमन १००० रूपये में किता पलेगा। ”
“हाँ हाँ बस झड़ने वाला हु में , आह आह… ”
सूजी की गांड को दबोचते हुए बंसी ने अपना लंड जल्दी से बहार निकाला और झड़ गया। सूजी ने अपनी चुत साफ़ की , “अच्छा सुन , मुझे घर के भीतर जाने दे , मुझे संडास जाना है।
“अच्छा , लेकिन ऊपर नई जाना , छोटी और बड़ी दोनों मालकिन घर के अंदर ही है। ”
फिर सूजी घर के अंदर आई , वह रमेश को घर में ढूंढ़ते ढूंढ़ते ऊपर की तरफ आगई। कमरे से जब उससे कराहने की आवाज़ सुनाईदी तो वह तुरंत ही कमरे के पास आगई और उसने जब झाक कर देखा तो रमेश माँ बेटी को पेल रहा था। सीमा रमेश के मुँह पर बैठी थी चुत चटाई के लिए और रिंकी उसके लंड पर उछाल रही थी।
आग बबूला होकर सूजी कमरे के अंदर घुसी , “साले मुझे वहा वॉचमन से चुदवाया और खुद यहाँ इन गोरी मेमो को ले रहा है। ”
रमेश और माँ बेटी घबराकर सावधान होगये , “अरे तू ऊपर क्यों आई ?”
सूजी और रमेश बेहेस करने लगे और मौका पाकर रिंकी ने चाकू रमेश में घुसेड़ दिया। जब सूजी ने रिंकी पर हुम्ला बोला ये देखकर तो सीमा की मदत से उसने सूजी को भी मार दिया। उस वॅलिंटिनेस डे पर सीमा और रिंकी ने रमेश और सूजी को ख़तम कर दिया।
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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “रसीली चुत वाली राजकुमारी”
तो आप सब अपना ख्याल रखिएगा। कोविड का सिचुएशन है तो अपना विशेष ख्याल रखिएगा। नमस्कार।
धन्यवाद।
The End…