गोवा की सेक्स गल्ली
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गली नंबर ३२ – गोवा की सेक्स गल्ली।
मेरा नाम है जॉय डिसूज़ा और में गोवा का रहने वाला हु , में ३२ साल का हु और एक मॉडल हु। ये किस्सा जो मैं आप लोगो के साथ शेयर करने जा रहा हु , वह मेरी ज़िन्दगी की सबसे बेहतरीन चुदाई का किस्सा है।
वैसे तो आपको ये बात सुनकर बहुत हैरानी होगी की मुझे गोवा बिलकुल पसंद नहीं है। में वह पला बड़ा हु लेकिन वहा का जीवन मेरे लिए बहुत ही स्लो था हमेशा से। में मुंबई में सेटल हो चूका था और अपनी ज़िन्दगी से काफी खुश था। पर एक दिन अचानक खबर आई की माँ की ताब्यात काफी ख़राब हो चुकी थी और मेरा गोवा जाना ज़रूरी बन चूका था।
सबसे पहली फ्लाइट लेकर में गोवा चला गया , गोवा जाकर कुछ दिन तो मेने बस माँ की सेवा ही की और तकरीबन एक हफ्ते बाद मेरे दिल में बेचैनी बढ़ने लगी।
दरअसल मैं एक सेक्स एडिक्ट हु और ज़यादा दिन मैं सेक्स किये बिना रह नहीं सकता। मेरी बेचैनी और तड़प बढ़ती ही जा रही थी और घर पर तो बस मैं और माँ ही थे। मेने पोर्न देखकर अपना मन भटकने की पूरी कोशिश की , लेकिन पोर्न देखकर मेरी कोई खास मदत नहीं हो रही थी।
मेरा मन बिलकुल भी नहीं मान रहा था और मुझे किसीभी हाल में चुत चाहिए थी। जब मैं माँ के पास बैठा हुआ था तो उन्होंने देखा की मेरी ताब्यात कुछ खास ठीक नहीं थी , तो उन्होंने मुझसे पूछा , “क्या हुआ है तुजे आज ?”
“अरे माँ तेरी आँख खुल गई , चल दोबारा सोजा , तुजे आराम की बहुत ज़रूरत है। ”
“तूने मेरी बहुत सेवा की है और अब लगता है की तू बीमार पड़ गया है। चल जल्दी से बता क्या बात है ?”
“कुछ नहीं माँ , बस थोड़ी थकान है शायद। ”
मेने बस ऐसेही बात बनाने की कोशिश की लेकिन माँ को चख्मा देना मुश्किल था। उन्हें आभास होचुका था की मुझे चुदाई की हवस तड़पा रही थी। माँ ने मुझसे कहा , “एक काम कर , यहाँ से बहार जा और बाये मुड़कर तुजे एक चना बेचने वाला मिलेगा। उसको पूछ गली नंबर ३२ कहा है। ”
“अरे माँ रेहेनेदे मुझे कही बहार नहीं जाना है , मैं तुजे अकेला छोड़ कर नहीं जा सकता। ”
“देख तुजे जो महसूस हो रहा है ना , मैं उस दौर से गुज़र चुकी हु। ये जो तेरी लत है वो तुजे मुझि से मिली है। ”
मैं ये बात सुनकर पूरी तरह से हैरान था , मेरे मुँह से शब्द पूरी तरह से जा चुके थे। मेरा हैरान चेहरा देखकर माँ ने आगे हसकर कहा , “तू जा जल्दी से वार्ना तेरे गोते जाम होजाएंगे। ”
वैसे तो अब मुझे माँ से इस बारे में विस्तार से बात करनी थी लेकिन सब्र का बांध भी टूट रहा था। बिना कुछ कहे मैं घर से निकला और जैसा माँ ने कहा था , मैं गली नंबर ३२ के लिए निकल पड़ा।
जैसे ही मैं गली के अंदर घुसा , मेरी आखे फटी की फटी रह गई। गली नंबर ३२ तो गोवा मैं एम्स्टर्डम का नज़ारा था। एक से बढ़कर एक लड़की कांच के दरवाज़े के पीछे अधनंगी खड़ी थी और गली में आनेवालों को लुभा रही थी। पहले तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की मैं ऐसा कुछ अपने घर के पीछे की गली में देख रहा था। फिर जैसे जैसे मेरी आँखों ने उस नज़ारे का सेवन किया और मेरे लंड की भूक को और नहीं रोका जा सकता था , तब मेरी नज़र जुली पर पड़ी।
जुली ने उस वक़्त उस कांच के दरवाजे के पीछे अपनी चूचियों को खुला रखा था। उसका शरीर काफी सुडोल था लेकिन उसकी चूचिया मस्त बड़ी बड़ी थी और किसी मीठे और बिलकुल सही पके पपीते की तरह लटक रही थी। हवस से भरे मर्दो की भीड़ में किसी तरह गुस्ते हुए मैं बिलकुल आगे आगया और जुली से बात करने की कोशिश की। वहा खड़े मर्द उसे भाव कर रहे थे लेकिन बस एक रात साथ बिताने का जुली एक लाख रुपया मांग रही थी।
जब मेरी और उसकी नज़रे मिली तो उसने मुझे पहचान लिया की मैं डिसूज़ा आंटी का बेटा हु। वह मुझसे बोली , “अरे जॉय , तू कब आया रे ? चल अंदर आजा। ”
फिर उसने बोली ब्नद करदी और मुझे अपने घर के अंदर बुला लिया। एक लाल रंग का वस्त्र अपने नंगे बदन पर उसने ओड रखा था जब मुझे अंदर लेने के लिया उसने दरवाजा खोला। सबसे पहले उसने मुझे गले से लगा लिया और मेरी हैरानी को देख मुझे उसने पूछा , “तू सच्च मुझे नहीं पहचान रहा है ?”
मेने कहा , “नहीं। ”
“अरे में जुली हु रे , अंकल फेड्रिक्स की बेटी। बचपन में साथ में कितना खेले है तू और मै। ”
तब मेरे दिमाग की घंटी बजी और लंड दोबारा खड़ा होगया , क्युकी जब मेरा पहला झाट का बाल निकला था , जिस लड़की को सबसे पहले चोदना चाहता था वह जुली थी।
मेरी आखो को और मेरे चेहरे के हाव् भाव को देखकर जुली समझ गई थी की मुझे क्या चाहिए था। उसने अपने शरीर के वस्त्र को हटा दिया और अपनी चूचिया मुझे पास से दिखाई। मेने तुरंत ही उससे कहा , “मेरे पास एक लाख नहीं है। ”
“तुजसे चुदवाने का पैसा थोड़ी लुंगी मै। ”
फिर मेरा हाथ पकड़कर वह मुझे अंदर के एक कमरे में ले गई , जहा वह अपना धंदा करती थी। उसने मुझसे पूछा , “पिछली बार कब चोदा था तूने किसीको ?”
“कुछ पन्द्र या सोला दिन पहले। जबसे गोवा आया हु चोदा नहीं है मेने। ”
“अच्छा , चल पहले गरम शावर लेकर आ जल्दी से और यही मेरे सामने कपडे उतार। ”
मेने अपने कपडे उतारे और उसकी आखे मुझे बेसब्री से देख रही थी। मेने ये भी देखा की मेरा खड़ा लंड देखकर उससे रहा नहीं जा रहा था। “जल्दी आ , मेने अभी धंदा शुरू करने से पहले ही शावर लिया था वरना मै भी तेरे साथ अंदर आती। ”
मेने कुछ नहीं कहा और बस अंदर चला गया। मुझे आज इससे जम कर चोदना था , उसकी चूचियों को देख कर मेरी हवस का बांध रुक नहीं प् रहा था।
जैसे ही मै अपना शरीर सुखाकर और बस टॉवल लपेटकर बहार आया , मेने देखा की वह अपनी चुत में ऊँगली कर रही थी। फिर उसने मेरा टॉवल पकड़कर मुझे अपने पास खींचा और मेरा टॉवल खोल दिया। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा और अब आज़ाद था , जुली ने अपने दोनों हाथो से मेरा लंड पकड़ा और मेरी आखो में देख कर कहा , “इतने विदेशी लंड देखे मेने आज तक लेकिन लगता है की इस देसी लंड से ही आज आग बुझेगी मेरी। ”
फिर मेने उसके बाल पकडे और उससे अपने लंड मुँह में दिया। जिस तरह से उसने मेरा लंड चूसा शुरू किया , कभी ज़िन्दगी में ऐसे किसी ने मेरा लंड नहीं चूसा था। मुझे बहुत ज़यादा मज़ा आ रहा था और वह अपनी जीब को भी मेरे लंड के इर्दगिर्द घुमा रही थी , जिसके कारन मज़ा दुगना होगया था।
मेने उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया और उससे पूछा , “कितने साल से धंदा कर रही है ?”
“आज मेरी पांचवी सलगिरा है , धंदे की। ”
“अगर तू लंड इतना अच्छे से चुस्ती है तो तेरी चुत कितना ज़्यादा मज़ा देगी ?”
“आज़मा के देख ले , मेरी चुत में तेरे लंड के लिए आग लगी हुई है। गीली और गरम है मेरी चुत तेरे लंड के लिए। ”
फिर मेने उससे हलके से धक्का दिया और बिस्तर पर लेटा दिया। उसकी टैंगो को मेने फैलाया और अपने लंड से उसकी गीली चुत को सहलाने लगा। क्या मस्त चुत थी जुली की मेरा लंड तना हुआ था और बिलकुल तयार उसकी चुत के अंदर जाने के लिए।
मेने पहले धीरे से लंड को थोड़ा अंदर डाला और फिर पूरा अंदर डाल दिया , जुली कराह उठी और “उफ़ , आह ” करते हुए उसने मेरा लंड मज़े से अंदर ले लिए। शुरवात मेने हलके धको से की और फिर धीरे धीरे ज़ोर ज़ोर से धके लगाने लगा। जुली ने अपने नाखुनो को मेरी पीठ में गुसा रखा था और चुदाई के पुरे मज़े ले रही थी।
मै भी जुली को ताबड़तोड़ चोदने में पूरी तरह से खो चूका था। ओहो , ऐसी चुदाई मेने अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं की थी।
जैसे जैसे मैं उसकी चुत को थोक रहा था उसके उभरे स्तन ऊपर नीचे हिल रहे थे और उस नज़ारे के कारण मैं अपने हवस के चरण पर पहुँच चूका था। मेरा लंड मलाई का विस्पोट करने वाला था और तब मेने अपने लंड को बहार निकला और पूरी मलाई जुली के स्तनों पर निकाल दी। “आह… , क्या मज़ा आया था उसके साथ उस पहेली चुदाई का। ”
हम दोनों नंगे उसके बिस्तर पर ही पड़े हुए थे और उस दिन जुली ने और कोई धंदा नहीं किया।
“यार जुली मेने ऐसी चुदाई का मज़ा आज सालो बाद लिया है।”
“तेरा लंड भी मस्त है , मुझे भी मज़ा आया। ”
“लेकिन मेरी भूक मिटी नहीं अब तक। ”
“तो वापस करना है तुझे ?”
“हाँ। ”
“अच्छा रुक , तेरे लिए एक सरप्राइज का बंदोबस्त करती हु। क्युकी तूने मुझे खुश किया है , तेरे लिए कुछ खास करना तो बनता ही है। ”
मैं बिस्तर पर नंगा लेटा रहा और जुली कही अंदर के कमरे में चली गई। कुछ समय बाद जब वह बहार आई तो उसके दरवाजे पर दस्तक हुई , मेने उससे पूछा , “इतनी रात को कौन हो सकता है ?”
“तेरा सरप्राइज। ” मुस्कुराकर उसने ये कहा और जब उसने दरवाजा खोला तो ६ फुट लम्बी दो लड़किया अंदर दाखिल हुई। एक गोरी और एक काली , दोनों ही गज़ब की सेक्सी।
फिर जुली ने कहा , “ये मिश्रा है , रुस्सियन और ये टुंपा अफ्रीकन। अब हम तीनो मिलकर तेरे लंड की आग को तृप्त करेंगे। ”
जैसे ही उन्होंने अपने अपने कपडे खोले , इतने हसीं जिस्मो को देख कर मेरा लंड दोबारा तन गया। वह सब मेरे सामने नंगा नाच करने लगे और मैं अपना लंड हिलाने लगा। फिर टुंपा मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मिश्रा मेरे मुँह पर खड़ी होगई , मैं उसकी मस्त गुलाबी चुत को चाटने लगा। उसके बाद जुली दोबारा मेरे लंड पर बैठी और उछाल उछाल कर चुदाई की।
ओह , ऐसी तृप्ती मुझे जीवन में पहले कभी महसूस नहीं हुई थी। पूरी रात हम तीनो चुदाई करते रहे और उस दिन के बाद मैं हमेशा के लिए गोवा की गली नंबर ३२ में ही बस गाय।
अब एक खिड़की मेरी भी है , जहा में नंगा खड़ा रहता हु और टूरिस्ट का दिल बहलाता हु।
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