एक अनोखी चुदाई
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रिक्शेवाले से अपनी हवस शांत की
https://nightqueenstories.com/ के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। दोस्तों मेरा नाम लैला है मेरी उम्र 36 साल है और मैं एक बिजनेस मैन की बीवी हूँ। मेरे हस्बैंड मुझसे प्यार तो करते हैं लेकिन मुझे शक है की उनका बाहर भी किसी से अफेयर है। और बिजनेस के सिलसिले में वह अक्सर बाहर रहते हैं। मैं दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में रहती हूँ। जो दिल्ली का सबसे पॉश इलाका है और यहां मेरी आलीशान घर है। वैसे तो दिल्ली में कई सारे मेरे होटल अपार्टमेंट और रेस्टुरेंट है।
हाँ वो मेरी हर डिमांड तुरंत पूरी कर देते हैं। शायद वह ऐसा इसलिए भी ताकि मैं उनपर शक ना करूँ। मेरे पास हर सुख सुविधा है लेकिन मेरे जीवन मे प्यार की कमी है। मेरा एक बेटा है जो US में पढ़ता है। मैं घर मे अकेली ही रहती हूँ। और सारा काम नौकर नौकरानियां करते हैं।
रिक्से वाले कि ताकत देखकर कैसे मेरे चूत पानी पानी हो गया और कैसे मैं अपनी चूत की हवस उससे शांत करवाई
एक दिन की बात है मैं अपनी BMW गाड़ी से बाहर गई हुई थी। लेकिन वापसी में मेरी गाड़ी खराब हो गई और वह सुनसान इलाका था और दोपहर के 1 बज रहे थे तो मैं मैकेनिक को कॉल किया तो वह आया और चेककर के बोला कि गाड़ी गैराज में ले जानी पड़ेगी तो टोचन करके गाड़ी ले जाने लगा और मैं उसकी गाड़ी में बैठे के मेट्रो स्टेशन आ गई। और मेट्रो से ही घर जाने लगी। और अपने घर के नजदीक वाले मेट्रो स्टेशन उतर गई। वहां से मैं सोची कैब कर लूँ फिर आईडिया आया क्यों ना रिक्शे का सवारी किया जाए। तो मैं वहां खड़ी हो गई और इधर उधर देखी तो कई सारे रिक्शेवाले थे। उनमें एक रिक्शावाला जो अधेड़ था वह 45 साल के आस पास का होगा और सांवला था। और शर्ट और लुंगी पहना हुआ था वह देखने मे थोड़ा सीधा सादा लग रहा था। मैं उसके पास गई और बोली तो वह बोला मेम साहब वह दूर है 50 रुपए लूंगा और छोड़ दूंगा। तो मैं बोली ठीक है चलो और फिर मैं रिक्शे पर बैठ गई। वह रिक्शे का छता खोल दिया जिससे मुझे छांव लगा लेकिन इसी दौरान उसके बदन से एक अजीब सी पसीने की खुशबू मेरी नाकों से टकराई जो यकीनन अच्छा था। एक अजीब सी खुशबू। खैर हम चल पड़े।
वैसे तो मैं रोज गाड़ी में आना जाना करती थी और दशकों बाद रिक्शे में बैठी थी। तो इधर का रोड पता नही चलता था लेकिन आज पता चला यह रोड थोड़ी ऊँचाई पर जाने वाली थी। और रिक्शावाला पूरी ताकत से रिक्शे का पैडल मार रहा था। वह पूरा खड़ा होकर रिक्शा चला रहा था। और तभी मेरी नजर उसकी पैरों पर गई। दोस्तों उसकी पैर की नशे किसी सांप की तरह तनी हुई मोटी मोटी दिख रही थी। उसका पैर भी बिल्कुल गठीला था। भले वह उम्र में ज्यादा था लेकिन उसकी जिस्म हाथ पैर बिल्कुल टाइट थे। उसकी पैरों की नसें देखकर मेरे जिस्म में सेक्स की चिंगारी दौड़ गई। मैं सोचने लगी कि वह कितना ताकतवर है जो इतनी चढ़ाई पर रिक्शा चला रहा है। मेरे दिमाग मे तेजी से चलने लगे कि जब रिक्सा चलाने में वह इतना ताकत लगा रहा है तो चुदाई में तो अच्छे अच्छे चुदक्कड़ रंडियों के छके छुड़ा देगा। उसके प्रति मेरे मन मे आकर्षण बढ़ने लगे। वह सच मे गजब का मर्द था।
मैं बुरी तरह थक चुकी थी लेकिन सोहन कें पैरों के मोटी और टाइट नसों ने मेरे जिस्म में हलचल मचा दी और मैं पूरी नंगी होकर अपने चूत में उँगली डालकर उसके नाम का चुतरस निकाली
खैर मैं घर पहुँच गई और उसे मैं 50 रुपए के बदले 500 रुपए दिए और बोली कि तुमने बहुत मेहनत किया है ये रखो। और उससे पूछी की तुम कहाँ से कहां तक रिक्सा चलाते हो तो वह बोला कही भी चले जाते हैं मेम साहब। लेकिन शुरू वहीं से करते हैं जहाँ से आपको लाये हैं। वही थोड़ी दूर पर हम रहते हैं। तो मैं उससे बोली कि तुम बहुत अच्छे हो लेकिन बाकी रिक्शा वाले अच्छे नही होते इसलिए मुझे कभी जरूरत पड़ेगा तो तुम्हे ही बोलूंगी क्या तुम फोन रखते हो तो वह बोला नही मेम साहब हम गरीब लोग कहाँ फोन रखेंगे। तो मैं बोली ठीक है मैं कल शाम 4 बजे घर वापस आऊंगी तो तुम मुझे फिर से घर छोड़ देना तुम वही रहना अगर कही जाओ भी तो 4 बजे से पहले आ जाना तो वह बोला ठीक है मेम साहब। और वह सलामी मार के रिक्सा घुमाया और वापस चला गया।
मैं घर आने के बाद लेट गई क्योंकि बुरी तरह थक चुकी थी। लेकिन उस रिक्से वाले का पैरों के नसे मेरे जिस्म में हलचल मचा दी थी। सो मेरे हाथ कब मेरी चुत पर चले गए पता ही नही चला और धीरे धीरे करके सारे कपड़े मैं उतार दी और बिल्कुल नंगी हो गई। और चूत में उँगली करने लगी मेरे आंखों के सामने बस वही रिक्सा वाला था। और कुछ ही देर में मेरी चुत ने ढेर सारा गर्म गाढा पानी का उल्टी कर दिया। मैं निढाल हो गई और कब मेरी आँख लग गई मुझे पता भी नही चला और मेरी तब नींद खुली जब रात को 8 बजे मेरे फोन पे कॉल आया।
मैं उठी तो मेरा शरीर मे बहुत पीड़ा महसूस हुआ। फिर मैं कॉल करके खाना आर्डर की और नहाने बाथरूम में चली गई वहां भी मैं एक बार फिर से उस रिक्से वाले का नाम का मुठ मारी। और नहाकर वापस आई। उस पूरी रात उसका ही जिस्म मेरे आंखों के सामने था। उसका नाम सोहन था।
वैसे तो मेरे पास घर मे 4 गाड़िया मेरी थी जिसे मैं ही चलाती थी मेरे पति के 2 गाड़िया थे जो वह चलाते थे। लेकिन मैं आज गाड़ी जे नही जाना चाहती थी सो अगले दिन मैं सुबह 9 बजे मेकेनिक को कॉल की तो वह बोला कि शाम तक आपकी गाड़ी बन जाएगी। तो मैं बोली ठीक है बन जाए तो घर पर पहुँचा देना। वह बोला ठीक है।
फिर मैं करीब 11 बजे घर से निकली और मार्किट मॉल घूमी और जब 4 बजे ठीक उसी जगह मैं पहुच गई जहाँ से कल रिक्सा ली थी। और इधर उधर उसी रिक्से वाले को ढूढने लगी। लेकिन वह कही दिखाई नही दे रहा था। मैं परेशान हो गई तभी वो सामने से दूर आते हुए दिखाई दिया शायद वह किसी को छोड़ने गया होगा। और फिर मैं उस साइड गई और तब तक मुझे वह देख लिया था। मेरे नजदीक आ के मुझे नमस्ते किया और बोला मेम साहब आप आ गई हैं। तो मैं बोली घर छोड़ दोगे तो वह बोला हाँ मेम साहब बैठिए। उसका चेहरा पूरा पसीना से तर बतर था। जाहिर था वह दूर से किसी को छोड़ के आ रहा था। फिर मुझे उसपर तरस आने लगा की अभी वह थका हुआ है फिर भी मुझे लेकर चलाएगा रिक्सा।
लेकिन फिर भी मैं बैठ गई और वह चल दिया आगे कुछ दूर जाने के बाद कुछ कम भीड़भाड़ वाला रास्ता था सो मैं उसे एक पेड़ के किनारे रिक्सा रोकने बोली और वह रोका तो मैं बोली सोहन तुम थोड़ी आराम कर लो तुम बहुत थके हुए लग रहे हो। और वह नीचे जमीन पर पेड़ के नीचे बैठ गया वह आम का पेड़ था जिसके नीचे बहुत अच्छा ठंडापन लग रहा था। फिर मैं भी रिक्से से उतरी और उसके पास जाकर उसे एक मोबाइल फोन दी जो मैं उसी के लिए खरीद के लायी थी। तो वह मना करने लगा। तो मैं बोली रख लो मुझे अक्सर तुमसे काम पड़ेगा। क्योंकि मैं अब तुम्हारे ही रिक्से में जाऊंगी। और जरूरत पड़ने पर कॉल कर लुंगी। मुझे अक्सर आना पड़ता है तो वह रख लिया।
करीब 15 मिनट हमलोग वहां रुके इस दौरान मैं उसके फैमिली के बारे में पूछा और ज्यादा से ज्यादा जानकारी ली। वह अकेला ही दिल्ली में रहता थ उसका परिवार उप्र में कही रहता था, और वह सुबह 5 बजे से रिक्सा लेकर निकल जाता था और रात के 8 बजे वापस रूम पर जाता था। फिर हम वहाँ से चल दिये और कुछ देर में घर पहुँच गए। आज फिर से मैं उसे 500 का नोट पकड़ाया पहले तो वह लेने से मना किया फिर ले ले लिया। अब मैं उसे कभी कभी काल करने लगी वह एक झोपड़ी में अकेले ही रहता था तो मैं रात को कभी कभी कॉलकरने लगी। और कुछ कुछ सामान उससे मंगवाने लगी। एक हफ्ते बित चुके थे। और मैं एक दिन उसे कॉल की और बोली कि सोहन मेरे घर पे कुछ काम है तो वह बोला की ठीक है मेम साहब मैं कर दूंगा। तो मैं बोली कि कल तुम शाम में फ्री होने के बाद मेरे साथ मेरे घर आ जाना तो वह बोला ठीक है।
अगले दिन शाम को 7 बजे मैं उसको कॉल की और बोली कि रिक्सा लगा के आ जाओ मैं गाड़ी से हूँ और काम होने के बाद मैं यही तुम्हे छोड़ दूँगी। तो वह थोड़ी देर में आया और मैं उसे अपने गाड़ी में बिठाई और घर ले आयी।
जैसे ही सोहन खड़ा हुआ मैं उसे बाहों में भर के उसके होंठो पर टूट पड़ी
और घर आने के बाद पहले उसे कोल्डड्रिंक और स्नैक्स लेने को दी फिर वह बोला मेमसाहब बताओ मैं काम खत्म करके जाऊँगा तो मैं उसे बोली कि मेरे बेडरूम में बेड को दूसरे साइड करना है तो वह बोला ठीक है चलिए। खैर यह मेरी प्लानिंग थी जो मैं पहले ही बेड को सही जगह से हटा दी थी। फिर वह बेड को धक्का देकर सही जगह करने लगा और मैं उसका मदद करने लगी इस दौरान मेरा जिस्म उसके जिस्म से सटा दी थी। वह सच मे बहुत ताकतवर था। जब बेड सही जगह हो गया तो वह खड़ा हुआ और जैसे ही खड़ा हुआ मैं उसे बाहों में भर ली और उसके होंठो पर टूट पड़ी। पहले तो वह दूर होने की कोशिश किया लेकिन थोड़ी ही देर में उसके अंदर का हवस भी जग गया और वह भी मेरे होंठो को किस करने लगा।
वह थोड़ा झिझक रहा था लेकिन मैं उससे शर्मिंदगी से पेश आ रही थी। मैं बहुत दिनों से एक असली मर्द से नही चुदी थी सो मैं तो पूरा एक्साइटेड थी। सोहन भी पूरे जोश में आ गया था लेकिन वह शर्मा रहा था। फिर मैं उसके लन्ड पर हाथ रख दी। ओह माय गॉड उसका लन्ड नही तोप था तोप। बिल्कुल कड़क और 9 इंच से कम नही होगा अब मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था सो मैं पहले उसके शर्ट को उतार दी और फिर अपना गाउन भी उतार दी मैं जान बूझ के ब्रा और पैंटी पहले ही उतार चुकी थी जब मैं चेंज कर रही थी। अब मैं पूरी तरह नंगे थी और सोहन के पैंट को उतारने लगी जैसे ही उसका पैंट नीचे हुआ उसके पैरों से निकाल दी और झट से उसका अंडरवियर नीचे सरका दी। उसकी 9 इंच की लन्ड किसी स्प्रिंग की तरह ऊपर नीचे हुआ। मेरी आँखों की चमक बढ़ गई। उसका लन्ड क्या मजेदार था। जीवन मे असली मर्द से आज ही पाला पड़ा था। मैं बिना देर किए उसके लन्ड को मुँह में ले ली और चूसने लगी। मेरे पूरे मुँह में और गले तक उसका लन्ड भर गया। मैं जोर जोर से उसके लन्ड को चूसने लगी और एक हाथ नीचे ले जाकर मैं खुद ही अपने चुत को मसलने लगी।
सोहन के लन्ड पकड़ के पीछे से अपने चूत पर टिका दी और बोली सोहन मैं बहुत तडप रही हूं मेरी चुत बहुत प्यासी है। अब बिना देर किए मेरी चुत की प्यास बुझा दो
अब मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था सो मैं उठी और बेड पकड़ के झुक गई और सोहन के लन्ड पकड़ के पीछे से अपने चूत पर टिका दी और बोली सोहन मैं बहुत तडप रही हूं मेरी चुत बहुत प्यासी है। अब बिना देर किए मेरी चुत की प्यास बुझा दो। और सोहन मेरे चूत में एक ही झटके में समूचा लन्ड पेल दिया मुझे दर्द के साथ एक अनोखा आनंद मिला अब वह जोर जोर से मुझे चोदने लगा। और एक घंटे तक अलग अलग स्टाइल में चोदा। वह सच्चा मर्द था। मेरी चुत से 8 बार पानी निकाला जो मेरे जीवन मे पहली बार ऐसी चुदाई थी।
उस रात मैं सोहन के आगे हाथ जोड़कर अपने घर रोक ली और रात भर उसके लन्ड से चुदती रही। कई बार गांड भी मरवाई। और कुछ दिनों बाद सोहन को मैं परमानेंट अपने घर मे नौकरी दे दी। और वह चौकीदारी करने लगा और मेरी चुत की ज्वाला शांत करने का परमानेंट जुगाड़ भी हो गया।
तो दोस्तों मेरी प्यासी चूत और हवस शांत करने का तरीका और अनोखा चुदाई कैसा लगा कमेंट में बताना और आप सब अपना मोहब्बत बनाए रखना। अन्य कहानियों के लिए https://nightqueenstories.com/ के अन्य पेज पर विजिट करें।
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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “कॉल बॉय का सफर”
नमस्कार।।
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